आगे कुआं पीछे खाई ( एक कहानी)


शिवकुमार जी बहुत धनी थे। उनके पास किसी भी चीज़ की कमी नही थी। उन्हें जो कुछ भी चाहिए होता उन्हें मिल जाता था। वे हमेशा सुख का जीवन जीते थे।

एक दिन शिवकुमार जी अपने दफ़्तर जा रहे। उन्होंने अपना पूरा दिन काम किया और शाम को वे दफ्तर से घर जा रहे थे। जाते वक्त उनके मोबाइल पर एक फ़ोन आया वो कॉल दूसरे कंपनी का था उन्होंने बताया कि तुम हमारी कंपनी में काम करो मैं तुम्हे उससे ज़्यादा पैसे दूंगा। उन्होंने सोचा कि अगर पुरानी कंपनी को छोड़ दूंगा तो मालिक को बुरा लगेगा और दूसरी ओर नई कंपनी में काम करूंगा तो ज़्यादा पैसे मिलेंगे। बहुत सोचने के बाद उसने सोचा कि सुबह से शाम पहली कंपनी में काम करूंगा और रात भर दूसरी कंपनी में काम करूंगा। और उसने हैं कर दी। एक हफ्ता उसने ऐसा ही किया। 
         एक दिन दोनो कंपनी के मालिकों के बीच लड़ाई होने लगी शिवकुमार ने चुपके से जाने के लिए सोंचा लेकिन दोनों मालिकों की नज़र उसपर पड़ गयी । दोनों ने उससे एक ही सवाल किया कि तुम किस कंपनी के लिए काम करते हो। शिवकुमार क्या करें उसके लिए तो आगे कुआं और पीछे खाई जैसी समस्या आ गई। अगर वह सच बोलता तो उसकी नौकरी चली जाती और बिना बोले रह नहीं सकता क्योंकि उसे बोलना जरूरी है।



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